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(PALMISTRY ENCYCLOPEDIA संतोष हस्तरेखा विश्वकोष)
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
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अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥
[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
नक्षत्र-पर्वतों पर ::
नक्षत्र-तारा :: यह एक शुभ चिन्ह है जो कि जातक के जीवन में शनि और चंद्र को छोड़कर अन्यंत्र; चमक-दमक, दीप्ति, बुद्धिमता, सुख का संचार करता है। किसी भी गुणक अथवा धन रेखा में एक अतिरिक्त रेखा के जुड़ने से यह तारे की शक्ल धारण कर लेती है। तारा सामान्यतया पाँच रेखाओं वाला मिलता है, परन्तु छह रेखा संयोजन से भी सितारा बनता देखा गया है। पर्वतों पर नक्षत्र :: यह जातक को उस पर्वत सम्बंधित विषयों में अत्यधिक प्रवीण-श्रेष्ठ बनाता है। बृहस्पति पर नक्षत्र :- जातक की इच्छायें अवश्य पूरी होंगी। अच्छी मस्तिष्क रेखा से साथ उच्च स्थान-पद, गरिमा और मान सम्मान की प्राप्ति होगी। उद्यमी, परिवार के मान सम्मान का रक्षक, महत्वाकांक्षी, धन का अभिलाषी। उठे हुए बृहस्पति पर नक्षत्र :- सत्ता, मान-सम्मान, महत्वाकांक्षी, अन्ततोगत्वा सफ़लता। बृहस्पति पर नक्षत्र, मज़बूत भाग्य मस्तिष्क और सूर्य रेखा :- अति उत्तम लक्षण, महत्वकांक्षों की पूर्ति। मूल स्थान से हटकर बृहस्पति पर नक्षत्र :- जाने-माने व्यक्तियों से सम्बन्ध मगर यदि हाथ में अन्य लक्षण शुभ नहीं हैं तो सत्ता, उत्कृष्टता, यश, विशिष्टता प्राप्ति में संदेह। बृहस्पति पर गुणक और नक्षत्र :- अत्यधिक शुभ विवाह। सौभाग्य और उच्चतम सम्मान। लोकप्रियता, भौतिक और दैविक कामनाओं पूर्ती, उन्नति। चपलता अभाव। बृहस्पति पर नक्षत्र और बढ़िया-उत्तम मस्तिष्क रेखा :- उच्च पद और सम्मान, धन प्राप्ति। उठे हुए बृहस्पति के उच्चतम स्थान पर नक्षत्र-तारा :- सत्ता, शक्ति, मनोकामनाओं की पूर्ति, महान सफ़लता और आनन्द। सूर्य पर नक्षत्र-तारा :: (1). सर्वाधिक उठे स्थान पर नक्षत्र :- गुणवत्ता, सम्मान, सामाजिक जीवन में ख़ुशी और धन अभाव। (2). पर्वत से हटकर तारा :- धनपतियों से लाभ रहित सम्बन्ध। (3). उत्तम सूर्य रेखा और नक्षत्र :- कठोर परिश्रम से प्रसिद्धि और धन की प्राप्ति। (4). अच्छी सूर्य रेखा अभाव में तारा :- अनावश्यक कार्यों में अनेकों जोखिम लेने के बाद प्रसिद्धि, देर से धन लाभ। (5). नक्षत्र, पतली सूर्य रेखा और अनेकों समानांतर रेखाएं :- धन, सामाजिक कार्यों में सम्मान और प्रतिष्ठा। (6). सामान्य रूप से विकसित सूर्य और सूर्य रेखाओं से बना नक्षत्र :- गुणों, कार्यों में सफ़लता उपलब्धि के कारण प्रसिद्धि। चंद्र पर नक्षत्र :: (1). चंद्र पर्वत पर सबसे ऊपर :- डूबने से, जहरीली गैस अथवा नशीले पदार्थों के इस्तेमाल से मौत। (2). निम्न चंद्र पर नक्षत्र, जीवन और हृदय रेखाएँ पीली :- जलोदर और जल सम्बन्धी बीमारियाँ। (3). यात्रा रेखा पर नक्षत्र :- जलयान के डूबने, टूटने। (4). बहुत ज़्यादा झुकी हुई मस्तिष्क रेखा, अशुभ शनि, बहुत ज्यादा उठा हुआ चंद्र :- डूबकर आत्महत्या (दोनों हाथों को देखें)। (5). चंद्र पर्वत पर नक्षत्र, जबकि कोई प्रभाव रेखा जीवन रेखा अथवा शुक्र पर्वत्र से आकर उसमें मिलती हो :- दौरा पड़ना, पागलपन, अनियमित व्यवहार। (6). मस्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत पर तारे में समाप्त होती हो :- कल्पना शक्ति का नष्ट होना, पागलपन। बुध पर नक्षत्र :: जातक बेईमानी, धोखे, अलगाव, छल, प्रपञ्च का शिकार बनेगा। उसके मित्र-सम्बन्धी उससे धन ऐठेंगे। उसे अनजान व्यक्तियों व्यवहार नहीं रखना चाहिये। उसे मित्र और शत्रु की पहचान नहीं होगी। (1). उच्चतम स्थान पर नक्षत्र :- व्यापार, ज्ञान-विज्ञान में सामान्य सफलता। (2). बुध से अलग हटकर नक्षत्र :- प्रसिद्ध, विशिष्ट, मशहूर व्यक्तियों से सम्बन्ध। शुक्र पर्वत पर नक्षत्र :: विपरीत लिंगी के कारण दुर्भाग्य। प्यार में धोखा, जलन के कारण बदले की भावना जिसे काबू में रखना हितकर होगा; अन्यथा बहुत बड़े नुकसान की सम्भावना। (1). चोटी पर नक्षत्र :- प्यार में सफ़लता। (2). चोटी से हटकर :- किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से प्यार में सफ़लता। (3). अँगूठे के दूसरे पौर पर नक्षत्र :- जीवन भर कायम रहने वाला प्यार और अनैतिक सम्बन्ध। (4). बीच में नक्षत्र :- किसी , मित्र, नजदीकी अथवा सम्बन्धी की मौत। (5). शुक्र पर्वत की जड़ में नक्षत्र :- विपरीत लिंगी की वजह दुर्भाग्य। (6). शुक्र पर्वत के नीचे मणिबंध की तरफ़ :- बीमारी। (7). शुक्र पर्वत पर जीवन रेखा स्पर्श करता हुआ नक्षत्र :- परिवार को परेशानी। शनि पर्वत्र पर नक्षत्र :: शनि पर्वत के ऊपर पर होने निश्चित मौत, दोनों हाथां का परीक्षण अवश्य करें। (1). शनि पर्वत की चोटी पर नक्षत्र :- भयानक मौत। (2). शनि पर्वत से हटा हुआ, अँगुलियों पर चढ़ा हुआ नक्षत्र :- दुर्भाग्यवश किसी विशिष्ट व्यक्ति सम्बन्ध। (3). दुहरे अथवा तीहरे शुक्र वलय पर नक्षत्र :- भयानक गुप्त रोग। (4). शनि की अँगुली के पहले पौरूए पर नक्षत्र :- हत्या। |
नक्षत्र-रेखाओं पर ::
Video link :: https://youtu.be/NS_BY5Pmup0 रेखाओं पर नक्षत्र :: रेखा के अंत में नक्षत्र मनोकामनाओं की पूर्ति का द्योतक है। हालाँकि इसकी खिन्न करने वाली बड़ी कीमत चुकाने पड़ती है। (1). जीवन रेखा पर नक्षत्र :- जिस उम्र में यह उपस्थित होता है उस उम्र में जान लेवा दुर्घटना। (2). जीवन रेखा पर एक साथ जुड़े हुए तीन तारे :- जातक को विपरीत लिंगी द्वारा किया गया प्यार बर्बादी में खत्म होता है। (3). जीवन रेखा के बीच में नक्षत्र-तारा :- यह 40-50 की उम्र में दुर्घटना, गम्भीर बीमारी को दिखाता है। यदि मङ्गल और शुक्र समुन्नत हैं तो वह इसके दुष्प्रभाव से सुरक्षित रहेगा। इसके आगे और पीछे सुखी और समस्या रहित होगा। उसकी सेवा निवृति का काल अत्यधिक आनंद पूर्ण होगा। यदि इस तारे के साथ स्वास्थ्य रेखा भी मौजूद तो इसके सम्भावना बढ़ जाती है। जातक को बीड़ी, सिगरेट, शराब, परस्त्री गमन से बचना चाहिये और योग, व्यायाम के अलावा घूमना भी चाहिये। मस्तिष्क रेखा पर नक्षत्र-सितारा :: (1). मस्तिष्क रेखा पर सितारा :- सर चोट और घाव। हाथों हो तो घातक चोट। (2). बहुत झुकी हुई मस्तिष्क रेखा अंत में चंद्र पर्वत पर नक्षत्र :- पागलपन के दौरा पड़ने से डूबकर हुई मौत। (3). मणिबंध तक बहुत ही ज्यादा झुकी हुई मस्तिष्क रेखा के अंत में सितारा हो :- सौभाग्य सूचक। (4). जीवन रेखा से उदित रेखा पर नक्षत्र पर चंद्र क्षेत्र में नक्षत्र और मस्तिष्क रेखा पर धब्बा :- प्रलाप, उन्माद, बेहोशी में बोलना, हद शराब पीने की लत, भयानक गुर्दे बीमारी। (5). मस्तिष्क रेखा पर काला दाग, शुक्र से आने वाली प्रभाव रेखा पर नक्षत्र :- किसी अत्यधिक प्रिय व्यक्ति से मौत से गहरा शोक। (6). बृहस्पति से नीचे आती हुई छोटी रेखा पर नक्षत्र जो कि मस्तिष्क रेखा पर खत्म होती हो :- अहंकार वश मृत्यु की सम्भावना। (7). मस्तिष्क रेखा की उच्चवर्ती शाखा जो की बृहस्पति की अंगुली नीचे सितारे में खत्म होती है :- आकांक्षा पूर्ति। हृदय रेखा पर सितारा-नक्षत्र :: (1). हृदय रेखा पर नक्षत्र :- ख़तरा अथवा दुर्घटना। (2). हृदय रेखा के प्रारम्भ में नक्षत्र :- बचपन में अत्यधिक परेशानी। (3). हृदय रेखा के अंत में शनि पर नक्षत्र :- दुर्भाग्य। (4). हृदय रेखा के प्रारम्भ में सितारा और शुक्र पर भी नक्षत्र :- जातक के जन्म के लगभग पिता की मृत्यु। (5). हृदय और जीवन रेखाओं के अंत में नक्षत्र :- लकवा-पक्षाघात (केवल पेशियों का पक्षाघात)। (6). हृदय रेखा और चंद्र पर्वत पर नक्षत्र :- आत्महत्या की प्रवृति। भाग्य रेखा पर नक्षत्र-सितारा :: भाग्य रेखा पर तारा-नक्षत्र :- तत्कालिक उम्र में सौभाग्य सूचक है। शनि पर खत्म होने वाली भाग्य रेखा के अंत में नक्षत्र :- घातक, घोर दुर्भाग्य। जीवन और भाग्य रेखा दोनों के अंत में नक्षत्र :- लकवा। सूर्य रेखा पर नक्षत्र :: कला (अभिनय, लेखन, आदि) क्षेत्र में महान सफ़लता, प्रसिद्धि। (1). रेखा तारे में रूके :- महान प्रसिद्धि मगर व्यक्तिगत जीवन में अकेलापन। (2). रेखा सूर्य पर्वत तक :- अन्य व्यक्तियों की सहायता से सफ़लता। (3). सूर्य रेखा पर इंद्र क्षेत्र में सितारा :- तबाही। बुध रेखा पर नक्षत्र :: बुध रेखा के अंत में नक्षत्र :- पैसा बचाने में मुश्किल। खर्चा ज्यादा आमदनी कम। जुए में हानि। स्वास्थ्य ख़राब। (1). बड़े त्रिभुज के अंदर बुध रेखा के नजदीक नक्षत्र :- अंधापन। (2). बुध रेखा पर नक्षत्र :- संतानहीन-नामर्दी, स्त्रियों में बच्चा पैदा करने में परेशानी। (3). मस्तिष्क और बुध रेखा जोड़ पर नक्षत्र :- बांझपन, बच्चा पैदा करने में तकलीफ। (4). बुध रेखा पर नक्षत्र और द्वीप एक साथ :- स्वास्थ्य की खराबी, दिवालियापन। अंतर्ज्ञान रेखा पर नक्षत्र :: बहुत कठिन परिश्रम के बाद धनी, विपरीत लिंगी के साथ प्रेम सम्बन्ध। शुक्र वलय पर सितारा, एक, दो अथवा तीन वलय, नक्षत्र के साथ :: गुप्त रोग और अंततोगत्वा मृत्यु। इंद्र क्षेत्र-मस्तिष्क और हृदय रेखा के बीच नक्षत्र :: (1). इंद्र क्षेत्र में शनि के नीचे नक्षत्र :- उज्जवल भविष्य। (2). इंद्र क्षेत्र में सूर्य के नीचे नक्षत्र :- कला, लेखन क्षेत्र में नाम-प्रसिद्धि। (3). बुध के नीचे इंद्र क्षेत्र में नक्षत्र :- वैज्ञानिक, व्यापारी के तौर पर मान-प्रतिष्ठा। राहु क्षेत्र-बड़े त्रिभुज में नक्षत्र :: (1). राहु क्षेत्र-बड़े त्रिभुज में नक्षत्र :- धन और सफलता की सघर्ष के बाद प्राप्ति। (2). दोनों हाथों में बुध, मस्तिष्क और जीवन रेखा से बने त्रिभुज के केंद्र में नक्षत्र :- झगड़े में मौत। (3). दोनों हाथों में बुध, मस्तिष्क और जीवन रेखा से बने त्रिभुज में बुध रेखा से जुड़ा नक्षत्र :- अंधापन। (4). दोनों हाथों में बुध, मस्तिष्क और जीवन रेखा से बने त्रिभुज में अनियमित तारा-नक्षत्र :- प्रेम में लड़ाई-झगड़ा, मारपीट। (5). त्रिभुज में शुक्र से आने वाली रेखा पर नक्षत्र :- घोर दुःख। (6). शुक्र वाली रेखा के दोनों ओर नक्षत्र :- मित्र या सम्बन्धी की मौत से गहरा दुःख। |

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संतोष महादेव-धर्म विद्या सिद्ध व्यास पीठ (बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा)


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