(PALMISTRY ENCYCLOPEDIA संतोष हस्तरेखा विश्वकोष)
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
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ॐ गं गणपतये नम:।
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥
[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
शनि से उदित शाखा जीवन रेखा पर :- दाँत में परेशानी, कैल्शियम की कमी, गठिया बाय, यदि इस पर द्वीप हो तो जातक को पशु से खतरा हो सकता है।

शुक्र (
विशाल):- यह लम्बी आयु, शक्ति सामर्थ, शारीरिक संरचना-स्वास्थ्य, सन्तानोत्तपत्ति की क्षमता, शारीरिक आकृषण, सम्बन्धों में घनिष्ठा, कला क्षेत्र में निपुणता, सांसारिक उपलब्धियों को भी प्रदर्शित करता है। उच्च सामाजिक स्तर, माता-पिता से खुशियाँ जातक को स्वतः प्राप्त होती है।
जातक उत्कृष्ट, जोशीला, उत्‍साही होगा। उसमें आकांक्षों और प्रगाढ़ सम्बंधों की गर्मी-उत्साह भी होगा।    
Large Venus
उदार, आवेशपूर्ण, तीव्र, कामुक, अकृषक तो होगा ही उसकी शादी भी उचित उम्र में हो जायेगी। उसका वैवाहिक जीवन खुशियों से भरा होगा।
शुक्र पर्वत-छोटा आकार :- ऐसी स्थिति में जीवन रेखा अँगूठे के काफ़ी नज़दीक होगी।
Short Venus
जातक में काम-वासना की कमी होगी। उसके बच्चे होने की सम्भावना भी नहीं होगी मगर इसका तात्पर्य नपुंसकता नहीं है। लम्बे जीवन की सम्भावना में कमी आयेगी। जातक का स्वास्थ्य उत्तम नहीं होगा, ताकत में कमी होगी। काम-वासना में अनेच्छा उसके रिश्तों में बेरुखापन, माधुर्य में कमी ला सकती है।
शुक्र से जीवन रेखा पर जाने वाली रेखायें :- सम्पत्ति की खरीद-फरोख्त अथवा इश्क मिज़ाजी, मानसिक काम-वासना।
शनि शान्ति के उपाय :: जब शनि की दशा-अंतर दशा चलती हो या जब शनि की साढ़े-साती लगी हो, गोचर में शनि जन्म राशि को प्रभावित कर रहा हो, तब शनि के उपाय करने चाहियें।
शनि जनित रोग :: लकवा, वात रोग, घुटनों में दर्द, गठिया, पैरों में पीड़ा, आकस्मिक दुर्घटना।
अशुभ शनि के लक्षण :: दशा-अंतर्दशा में भी तकलीफ के लक्षण दिखाई देते हों तब समझना चाहिये कि शनि विपरीत फल देनेवाला बना है। शनि जब अशुभ फल देने लगता है, तो जातक को घर की परेशानी आती है। शनि अशुभ होने से घर गिरने की स्थिति भी आ सकती है। जातक के शरीर के बाल भी झड़ने लगते हैं। विशेषकर भौंह के बाल झड़ने लगें, तो समझना चाहिए कि शनि अशुभ फल दे रहा है।
शनि शान्ति के सामान्य उपाय :-
शनिवार का व्रत करें। काले कुत्ते को आटा खिलायें।
रोटी में तेल लगाकर कुत्ते या कौए को खिलाएं।
साँप को दूध पिलायें। 
नीलम अथवा जामुनिया मध्यमा अंगुली में पहनें।
पुरानी नाव की लोहे की कील का छल्ला जिसका मुँह खुला हो, मध्यमा अंगुली में धारण करें। घोड़े की उतरी हुई नाल घर के दरवाज़े पर लगायें अथवा पीपल की जड़ में गहरा गाढ़ दें।
पीपल की जड़ में स्थापित शिवलिंग के पास 
शनिवार को सरसों के तेल का दिया जलायें। कच्चा दूध, काले तिल, उड़द अर्पित करें।
शमी वृक्ष की जड़ में प्रातःकाल सरसों के तेल का दिया जला कर जल चढ़ायें।
सुंदरकाँड का पाठ सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है।
सँध्या के समय जातक अपने घर में गूगल की धूप देवें।
काल भैरव की उपासना करें।
नीलम, काली-तिल, उड़द, तेल, काले-फूल, लोहे की कील, जूता, स्वर्ण एवं दक्षिणा शनिवार के दिन शनि मंदिर या  फिर किसी गरीब को दान करें।
काली गाय का दान करने से भी शनि शुभ फल देने लगता है।
तिल का तेल एक कटोरी में लेकर उसमें अपना मुँह देखकर शनि मंदिर में रख आएं (जिस कटोरी में तेल हो उसे भी घर ना लायें)। 
सवापाव साबुत काले उड़द लेकर काले कपड़े में बाँध कर शुक्रवार को अपने पास रखकर सोयें। अपने पास किसी को भी ना सुलायें। फिर शनिवार को उसे शनि मंदिर में रख आयें या फिर जल में प्रवाहित कर दें। 
काला सुरमा एक शीशी में लेकर अपने ऊपर से शनिवार को नौ बार सिर से पैर तक किसी से उतरवा कर सुनसान जमीन में गाड़ देवें।
लाल चंदन की माला को अभिमंत्रित कर शनिवार या शनि जयंती के दिन पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं।
काले धागे में बिच्छू घास की जड़ को अभिमंत्रित करवा कर शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के शुभ मुहूर्त में धारण करने से भी शनि संबंधी सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
शनिवार को  "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः" 108 बार का जप करें। 
ॐ शं शनेश्चराय नमः मंत्र का जप करें।
माता-पिता, गुरु, बुजुर्ग व्यक्तियों की सेवा करें। 
शनि ग्रह की शाँति के लिए दान देते समय ध्यान रखें कि सँध्या काल हो और शनिवार का दिन हो तथा दान प्राप्त करने वाला व्यक्ति उचित, ग़रीब और वृद्ध हो।
शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं शनि स्तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है। 
मोर पंख धारण करने से भी शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।
शनिवार को नीले-काले कपड़े पहनें।
गले में रुद्राक्ष की माला धारण करें और उसे कपड़ों से ढँककर रखें।
सिर, टूंडी-नाभि, और नाक में सरसों का तेल लगायें। सर्दियों में धूप में बैठकर पैर, घुटनों, एड़ियों में सरसों  की मालिश करें।
खाना बनाने के लिये सरसों का तेल प्रयोग करें।
मांथे पर भस्म लगायें।
APPEASEMENT OF PLANETS गृह शान्ति
(BASICS OF ASTROLOGY)
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संतोष महादेव-धर्म विद्या सिद्ध व्यास पीठ (बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा)
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