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त्र(PALMISTRY ENCYCLOPEDIA संतोष हस्तरेखा विश्वकोष)
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
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अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥
[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
Video link :: https://youtu.be/v-r3UzVYjjU त्रिभुज-हथेली में बड़ा त्रिभुज :: शास्त्रों में कहा गया है कि सोते शेर, सोते हुआ नाग और ब्राह्मण को कभी भी न छेड़े। इसका परिणाम उसी तरह होता है जैसे कि किसी जातक की हथेली में राहु क्षेत्र को घेरने वाले बड़े त्रिभुज का फल है। अन्याय के शिकार अपने संगी साथियों को न्याय दिलाने का दिलो-जान से प्रयास करता है और सफल भी होता है। इस त्रिभुज का धारक जातक शान्त स्वभाव का व्यक्ति होता है। वह कभी किसी के साथ छेड़खानी नहीं करता; मगर ऐसा होने पर भूलता भी नहीं है माफ़ भले ही कर दे। (1). यह जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और अंतर्ज्ञान रेखा से मिलकर बनता है और पूरे राहु क्षेत्र को घेरता है। (2). यह भाग्य-शनि रेखा, मस्तिष्क रेखा और अंतर्ज्ञान रेखा से मिलकर बनता है। (3). यह त्रिभुज सूर्य रेखा, मस्तिष्क रेखा और अंतर्ज्ञान रेखा से निर्मित है। (4). यह त्रिभुज निम्न मस्तिष्क रेखा जो कि भाग्य रेखा का एक भाग भी है, अंतर्ज्ञान रेखा और भाग्य रेखा से मिलकर बनता है। (5). यह त्रिभुज निम्न मस्तिष्क रेखा जो कि भाग्य रेखा का एक भाग भी है, अंतर्ज्ञान रेखा और सूर्य रेखा से मिलकर बनता है। (6). यह भाग्य-शनि निम्न मस्तिष्क रेखा जो कि भाग्य रेखा का एक भाग भी है, अंतर्ज्ञान रेखा और सूर्य रेखा से मिलकर बनता है। (7). यह त्रिभुज जीवन रेखा, जीवन रेखा की उच्चवर्ती शाखा और मस्तिष्क रेखा से मिलकर बनता है। |
Video link :: https://youtu.be/OpB1TqoIARE त्रिशूल :: यह जिस रेखा पर पाया जाता है, उसकी गुणवत्ता को बढ़ाता है। यह उसकी नजदीक रेखाओं को भी सकारात्मक बनाता है। किसी पर्वत पर त्रिशूल उपस्थिति उसकी और उसके नजदीकी पर्वत की गुणवत्ता बढ़ाती है। यह नक्षत्र के अवगुणों को आच्छादित कर देता है। जातक को भगवान् शिव की आराधना करनी चाहिये। मस्तिष्क रेखा के अंत में पाया जाने वाला त्रिशूल :- जातक को वैज्ञानिक, अभियंता-इंजीनियर अथवा अनुसंधान कर्ता बनाता है। बृहस्पति :- जातक की मनोकामनायें पूरी होती हैं। सम्पत्ति के साथ साथ उसे वाहन की प्राप्ति भी होती है। सूर्य :- जातक को प्रसिद्धि, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। भाग्य रेखा पर त्रिशूल :- यह हृदय रेखा से मिलकर यह त्रिशूल बनाती है जिसकी एक शाखा शनि पर्वत ओर जाती है। दूसरी शाखा बृहस्पति को और तीसरी शाखा शनि बृहस्पति की अँगुलियों पहुँचती है। जातक सौभाग्यशाली होगा। ऐसे जातक प्रसिद्द, सम्माननीय और सामाजिक होते हैं। उसका व्यक्तित्व चुंबकीय होता है। उसका प्यार आदर्श युक्त होता है। वह कामुक-वासना प्रिय और प्रेम-सम्बन्ध कायम करने वाला भी हो सकता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में तरक्की करता है। हृदय रेखा पर त्रिशूल :- जातक विश्व प्रसिद्द होगा। जनमानस का प्रिय होगा। त्रिशूल की मुख्य शाखा सीधी जाती है, दूसरी बृहस्पति रेखा की ओर झुकती है। जीवन रेखा के अंत में त्रिशूल :- यह जातक की क्षमता को बुढ़ापे में कम कर देता है। |

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संतोष महादेव-धर्म विद्या सिद्ध व्यास पीठ (बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा)


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