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ज(PALMISTRY ENCYCLOPEDIA संतोष हस्तरेखा विश्वकोष)
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
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अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥
[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
यह स्वास्थ्य, ऊर्जा, कार्य क्षमता, बीमारियों को दर्शाती है। तरक्की, जातक द्वारा दूसरों की सहायता, आयु-मृत्यु, दुर्घटनाओं, लम्बी यात्राएँ आदि का वर्णन करती है। जातक की अधिकतम आयु को 105-120 वर्ष तक दर्शाती है। भाग्य रेखा, हृदय रेखा और मंगल रेखाएं इसकी सहायक रेखाएँ हैं।
Video link :: https://youtu.be/_TedQSds9NE जीवन रेखा की बनावट :: (1).सीढ़ी नुमा जीवन रेखा :- स्वास्थ्य सही नहीं रहेगा (बुध रेखा को भी देखें), कमजोर शरीर, पौरुष की कमी। (2).द्वीप युक्त जीवन रेखा :- बीमारी और स्वास्थ्य में कमी-ह्रास। (3).द्वीपों से बनी और जंजीर नुमा जीवन रेखा :- बुरा स्वास्थ्य (बुध रेखा को भी देखें)। जब तक जंजीर होगी तब तक स्वस्थ्य नर्म रहेगा। वंशानुगत बीमारियाँ। जैसे-जैसे जीवन रेखा सीधी-सपाट होती जायेगी स्वस्थ्य में सुधार हो जायेगा। (4).लहरदार-वक्रीय जीवन रेखा :- जातक का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहेगा। वंशानुगत बीमारियों की सम्भावना होगी। (5).जंजीर नुमा जीवन रेखा :- बचपन में स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा। (6).रस्सी नुमा जीवन रेखा :- स्नायु सम्बन्धी रोग, चिंतित या भयभीत। (7).टूटी हुई जीवन रेखा :- विरोधियों द्वारा उत्पन्न समस्याएँ, चिंता, पौरुष-कार्य क्षमता में कमी। (8).अनेक जगह टूटी हुई जीवन रेखा; लगातार अनेक जगह अवरोध-बाधाएँ :- पौरुष-कार्य क्षमता में कमी, नाजुक शारीरिक रचना। (9).टुकड़ों से बनी जीवन रेखा :- अपच, जिगर-पेट के रोग, साँस की तकलीफ, बबासीर, लगातार बीमार रहना, स्वभाव सम्ब्नधि समस्यायें और स्नायु विकार। (9.1).दो या तीन टुकड़ों में विभाजित जीवन रेखा :- कमज़ोर शरीर, पौरुष-कार्य क्षमता में कमी, लगातार बीमार रहना, तुनक-मिज़ाजी। (10).त्रिभुजों से बनी जीवन रेखा :- पैतृक बीमारियाँ, पेट विकार, खून में खराबी, वायु दोष, दस्त-अतिसार। (11).जीवन रेखा के अन्त में गुच्छा-फुँदना :- जीवन के अन्त शारीरिक क्षमता और स्वास्थ्य में कमी। (12).जीवन रेखा के शुरू में गुच्छा-फुँदना :- पैतृक बीमारियाँ, पेट विकार, बचपन में दस्त की बीमारी। (13).जीवन रेखा के शुरू और आखिर में गुच्छा-फुँदना :- जीवन भर बीमार और अंत में बीमारी से ही मृत्यु। (14).जीवन रेखा से नीचे जाने वाली महीन-बारीक रेखाएँ :- जीवन के अन्त शारीरिक क्षमता में कमी। (15).लाल रंग लिए हुए गहरी जीवन रेखा, मंगल उठा हुआ :- हिंसक प्रकृति। (16).मोटी और लाल जीवन रेखा :- पाशविक प्रकृति। (17).गहरी, सुन्दर, सुगढ़, तीख़ी, लालिमा लिए हुए जीवन रेखा :- जातक की कार्य क्षमा ज्यादा होगी, स्वास्थ्य अच्छा होगा, बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज्यादा होगी। (18).फैली हुई-चौड़ी जीवन रेखा :- गरीबी, आलस्य, सुस्ती। (18.1).चौड़ी और पीली जीवन रेखा :- रक्त संचार प्रणाली में अवरोध-कमी, रक्त की कमी। (18.2).छिछली, चौड़ी, हल्के पीले रंग की जीवन रेखा :- ऊर्जा-तेज में कमी, आत्मविश्वास की कमी, पौरुष, सफ़लता में कमी। (19).असामान्य रूप से गहरी जीवन रेखा :- उज्जड-गंवार पना, झगड़ालू, शारीरिक शक्ति में बहुत जल्दी कमी होना, जिस्सके कि लकवा हो सकता है। (19.1).गहरी और चौड़ी जीवन रेखा :- सनकी स्वभाव, स्वास्थ्य में उतार -चड़ाव। (20).रंगहीन और मोटी :- ख़राब स्वास्थ्य, दूसरों से जलन और बुराइयाँ। (20.1).फीकी रंगहीन, जर्द जीवन रेखा :- पागलपने के स्तर तक ग़ुस्सेलापन, शरीर में कैंसर या गाँठ होने की सम्भावना। (21).एक सार मोटाई का अभाव :- सनकी मिज़ाज, मनमौजी। गहराई लिए हुए लम्बी जीवन रेखा :- सुदृढ़ शरीर, पूरी आयु पुरुष-शक्ति सम्पन्न। (22).पतली जीवन रेखा :- शारीरिक क्षमता का अभाव, प्रतिरोध शक्ति की कमी। जातक का मजबूत अँगूठा और अच्छी मस्तिष्क रेखा इस कमी को पूरा करेगी। (22.1).पतली और बारीक जीवन रेखा :- बीमारियों के प्रति प्रतिरोध क्षमता में कमी। (23).जीवन रेखा को अनेक छोटी-छोटी रेखाएं कई जगह काट रही हों :- पेट खराब, परिवार-रिश्तेदारों से तकरार, विपरीत लिंगी का हस्ताक्षेप। (24).जीवन रेखा चंद्र पर्वत पर कुछ दूरी तक चले :- पानी में डूबने से अथवा दुर्घटना में मृत्यु। |
जीवन रेखा की उच्चवर्ती शाखाएँ :: बढ़ती हुई ताकत, लाभ, सफ़लता की प्राप्ति। इस रेखाओं को भाग्य रेखा भी मन जा सकता है। ये जातक को समृद्ध बनाने के साथ उत्तम स्वास्थ्य भी प्रदान करती हैं। जातक को नौकरी, तरक्की और आर्थिक मज़बूती मिलती है। (1). बृहस्पति पर जाने वाली शाखा :- सामाजिक स्तर में बढ़ोतरी और सत्ता लाभ। पढ़ाई लिखाई में अव्वल, मनोकामनाओं की पूर्ति। नेतृत्व क्षमता की प्राप्ति। जातक को अभिमान भी हो सकता है। जातक को छात्रावास अथवा विदेश में रहकर पढ़ाई करनी पड़ सकती है। यदि यह रेखा वर्ग में पहुँचे तो जातक अच्छा अध्यापक होगा और अहंकार से रक्षा करेगी। (2). शनि पर जाने वाली उच्चवर्ती शाखा :- सम्पत्ति की खरीद-फरोख्त, धन संचय, जातक धनी बन सकता है। निकट सम्बन्धियों-मित्रों, जरूरतमंदों का सहायक। वैवाहिक जीवन में खुशहाली-सफ़लता। (3). उच्चवर्ती शाखा सूर्य पर्वत पर पहुँचे :- आर्थिक लाभ, कला-साहित्य क्षेत्र में उपलब्धि, मान-सम्मान। यदि इसकी शाखाएँ बृहस्पति पर पहुँचें तो जातक को कूटनीतिक सफलता, मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। (4). बुध पर जीवन रेखा की उच्चवर्ती शाखा :- व्यापार-व्यावसायिक विज्ञान खोज़ आदि में सफ़लता, उत्तम स्वास्थ्य। जातक को भविष्य देखने की क्षमता। यदि रेखा पर अंकुश बने तो जातक मूर्खता, लालच, गुस्से से ग्रस्त हो सकता है। (5). चंद्र पर जीवन रेखा की उच्चवर्ती शाखा :- यात्रा के माध्यम से सफलता। (7). निम्न मङ्गल पर जीवन रेखा की उच्चवर्ती शाखा :- बल प्रयोग द्वारा सफलता। बहुत ज्यादा उठे होने पर शक्ति का दुरुपयोग। (8). इंद्र क्षेत्र में जीवन रेखा की उच्चवर्ती शाखा :- जिस उम्र में यह लक्षण होगा, तभी बड़ी सफलता हासिल होगी। (9). राहु क्षेत्र में जीवन रेखा की उच्चवर्ती शाखा :- मेहनत से निश्चित सफ़लता, समृद्धि। |
धूमिल, द्वीप युक्त, सीढ़ी नुमा, कटी-फ़टी, तिल युक्त जीवन रेखा उस वक्त की स्वास्थ्य की स्थिति का ब्यान करती है और केवल उसी समय के लिये जातक शक्ति क्षीण-बाधित होती है। एक अन्य रेखा-समान्तर रेखा, मंगल रेखा न केवल इसके अवगुणों को दूर करती है, जातक को शक्ति-सामर्थ और आत्मविश्वास भी प्रदान करती है।
उम्र की गणना न केवल जीवन रेखा से अपितु मस्तिष्क और हृदय रेखा से भी करनी चाहिये। इसके लिये जातक के दोनों हाथों का परीक्षण आवश्यक है। जिन लोगों के हाथ में मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा का अभाव होता है, वे लगभग बन्दरों-लंगूरों के समान होते हैं। जीवन रेखा की अनुपस्थिति का अर्थ है कि जातक का प्राणान्त कभी भी हो सकता है। मस्तिष्क रेखा यदि जीवन रेखा से अधिक मजबूत है तो जातक मानसिक रूप से ज्यादा चुस्त-दुरुस्त होगा।
जीवन रेखा पूरे शुक्र पर्वत को घेरे :- जातक की आयु 90 वर्ष से अधिक हो सकती है। जीवन रेखा का लम्बा होना, लम्बी आयु सुनिश्चित नहीं करता। उसकी मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा को भी स्पष्ट और दोष रहित होना चाहिये। हाथ में अन्य स्थानों पर दुर्घटनाओं को भी देखना आवश्यक है। मध्य आयु प्यार-स्नेह, शारीरिक सम्बन्धों और बाद की आयु आध्यात्मिकता का वर्णन करती है।
विशाल शुक्र :- यह लम्बी आयु, शक्ति सामर्थ, शारीरिक संरचना-स्वास्थ्य, सन्तानोत्तपत्ति की क्षमता, शारीरिक आकृषण, सम्बन्धों में घनिष्ठा, कला क्षेत्र में निपुणता, सांसारिक उपलब्धियों को भी प्रदर्शित करता है। उच्च सामाजिक स्तर, माता-पिता से खुशियाँ जातक को स्वतः प्राप्त होती है।
जातक उत्कृष्ट, जोशीला, उत्साही होगा। उसमें आकांक्षों और प्रगाढ़ सम्बंधों की गर्मी-उत्साह भी होगा। उदार, आवेशपूर्ण, तीव्र, कामुक, अकृषक तो होगा ही उसकी शादी भी उचित उम्र में हो जायेगी। उसका वैवाहिक जीवन खुशियों से भरा होगा।
Video link :: https://youtu.be/Ip0Ge4CfKQs जीवन रेखा का उद्गम ::(1). जीवन रेखा का उदय निम्न मङ्गल से :- लम्बी उम्र, विकसित शारीरिक क्षमता और कार्य करने की शक्ति, मगर बबासीर और खून में ख़राबी हो सकती है। ऐसी जीवन रेखा जो मङ्गल पर नुदित हो, कटी-फटी न हो, द्वीप रहित हो, लहरदार न हो, पूरे शुक्र को घेरे, मणिबन्ध तक पहुँचे; बहुत अच्छी होती है। (2). जीवन रेखा बृहस्पति की ओर, तीखी, मस्तिष्क रेखा से अलग मगर बहुत नज़दीक :- ईमानदारी, मान-सम्मान, स्पष्ट सोच-विचार, तर्क शक्ति विकसित, समझने-बुझने की ताकत, एक अच्छे माहौल-सुसंस्कृत परिवार में लालन-पालन। (3). जीवन रेखा का उदय बृहस्पति से :- महत्वाकांक्षी, नाम, समद्धि और सफ़लता की इच्छा, पैदाइशी नेता, अनेकों कौशल और खूबियों, उच्च पदासीन, समाज में इज्जत-मान सम्मान। वही रेखा जब बृहस्पति की अँगुली के जनदीक शुरू होगी तो जातक को तानाशाह, अभिमानी, क्रूर बनायेगी। जातक के खून में विकार, बबासीर और खानदानी विकृतियाँ विरासत में मिलेंगी। (4). बृहस्पति और शनि की सन्धि के नीचे, मस्तिष्क रेखा से अलग होती हुई जीवन रेखा :- जातक किसी भी काम को सोच-समझकर कर करता है मगर दीर्घ सूत्री है। (5). मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा शुरू में एक-दूसरे को छू रही हों :- जातक तुरन्त निर्णय लेने वाला और जीवन में तरक्की करने वाला होगा। (6). जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा में बृहस्पति के नीचे लगभग एक मिलीमीटर की दूरी :- जातक तुरंत, सोच-विचार करके निर्णय लेने वाला सफल व्यक्ति हो सकता है। उसे उच्च पद की प्राप्ति की सम्भावना भी होगी। (7). जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा में बृहस्पति के नीचे एक-दो सूत की दूरी :- जातक बचपन से स्वावलंबी-निर्भीक मगर अक्सर गलती करने वाला होगा। दूसरों की सही सलाह को माने ऐसा जरुरी नहीं है। (8). जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा में बृहस्पति के नीचे एक-दो सूत की दूरी, जीवन रेखा की उच्चवर्ती शाखायें उन्हें जोड़ रही हों :- जातक स्वतंत्र प्रवृति-प्रकृति का होने के बावजूद दूसरों की उचित सलाह को ग्रहण कर सकता है। (9). अँगूठे के नजदीक जीवन रेखा :- पौरुष में कमी, काम-वासना के वेग में कमी, कार्य क्षमता में कमी, स्त्री में बाँझपन। (10). जीवन रेखा का सामान्य उदय मगर चंद्र पर्वत मणिबंध के करीब पहुँचे :- स्त्रियों में गंभीर समस्या, अत्यधिक उभरा हुआ चंद्र स्त्रियों में जनांगों की समस्याओं को बताता है। |

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संतोष महादेव-धर्म विद्या सिद्ध व्यास पीठ (बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा)










